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Annapurna Temple- Trimbakeshwar

About Shri Annapurna Temple- Trimbakeshwar

ब्रम्हलीन महामण्डलेश्वर १०८ स्वामी प्रभानन्द गिरिजी महाराज ने श्री क्षेत्र त्र्यंबकेश्वर यात्रा के दौरान स्वामी विश्वेश्वरानन्द गिरिजी के सामने यह इच्छा जाहिर की कि गौतम ऋषि की तपस्थली व पुण्य सलीला गोदावरी के तट पर भगवती मॉं अन्नपूर्णा का मन्दिर बनाया जाए। स्वामी प्रभानन्द गिरिजी महाराज १४ जनवरी १९९० को ब्रह्मलीन हो गये । स्वामी विश्वेश्वरानन्द गिरिजी को अपने गुरूजी की अंतिम इच्छा स्मरण में थी ।

सर्वप्रथम श्री सिद्धपीठ अन्नपूर्णा आश्रम चेरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना कर २० मार्च १९९८ को श्री क्षेत्र त्र्यंबकेश्वर में नीलपर्वत पर भूमि पूजन कर श्री अन्नपूर्णा आश्रम की स्थापना की । आश्रम की स्थापना के पश्चात प.पू महाराज जी ने जहां मॉं का मन्दिर बनाना है उस भूमि पर ०९ नवम्बर २००० से १६ नवम्बर २००० तक सहस्त्र चण्डी महायज्ञ कर के उस भूमि का शुद्धीकरण किया गया ।

२० मार्च २००२ को मॉं अन्नपूर्णा के मन्दिर का भूमि पूजन कर निर्माण कार्य प्रारंभ किया । ३०,००० घणफीट संगमरमर मार्बल से मन्दिर बनाया गया है। मन्दिर के शिखर की ऊँचाई ७१ फिट है । अनेक कठिनाइयों को पार करते हुए सन २००२ से प्रारंभ किया हुआ मन्दिर निर्माण का कार्य सन २०१८ में श्री विनोद जी अग्रवाल ( भाईसाहब), श्री वजिन्दर सिंग जी छाबड़ा, श्री कैलास अग्रवाल ( इटली) के विशेष सहयोग से पूर्ण हुआ ।

मन्दिर पूर्ण होने के पश्चात १८ फ़रवरी से २८ फ़रवरी तक लक्षचण्डी महायज्ञ का आयोजन प. पू महामण्डलेश्वर स्वामी विश्वेश्वरानन्द गिरिजी महाराज के सानिध्य में एवं श्री विनोद जी अग्रवाल ( भाईसाहब) की अध्यक्षता में किया गया। *२१ फ़रवरी २०१८ * को मॉं अन्नपूर्णा, मॉं गायत्री, मॉं सरस्वती की पंचधातु से निर्मित मूर्तियों की स्थापना की गई ।

भविष्य की योजनाएँ
१ गौशाला का निर्माण ।
२. संकृत पाठशाला प्रारंभ करना ।
३. अन्नक्षेत्र का शुभारंभ करना ।

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