About Shri Annapurna Temple- Indore (M.P.)
मन्दिरों का निर्माण हमारी भारतभूमी पर सदियों से होता आ रहा है । दर्शनीय एवं आस्था के केन्द्र के रूप में मॉं अन्नपूर्णा मन्दिर ने इन्दौर को अलग पहचान दी है । इन्दौर शहर में ऐसे लोगो की संख्या कम नहीं है, जिनका रिश्ता मॉं अन्नपूर्णा से ह्दय से रहा है । मॉं अन्नपूर्णा की कृपा हमेशा उन्होंने बरसती हुई महसूस की है ।
मॉं अन्नपूर्णा के परम भक्त ब्रह्मलीन स्वामी प्रभानन्द गिरिजी महाराज १९५६ में इस स्थान पर पधारे । तब यह स्थान शहर से दुर सुनसान था, आवागमन भी बहुत ही कम था। स्वामीजी सदैव अनुष्ठान में लिन रहते थे, व जो कुछ भोजन अथवा भोजन सामग्री शहर से लोग ले जाकर देते थे उसी में संतुष्ट रहते थे । मॉं अन्नपूर्णा की प्रेरणा से १९५७ में मन्दिर का निर्माण प्रारंभ किया और २१ फरवरी १९५९ को मॉं अन्नपूर्णा के विग्रह की विधी विधान से स्थापना की गई ।
यह मन्दिर दक्षिण भारत के मदुरै में स्थित मिनाक्षी मन्दिर की तर्ज पर बना है। मन्दिर का प्रवेश द्वार चार हाथियों पर निर्मित अद्भुत आकर्षण का केन्द्र है । मन्दिर परिसर में ही अन्य मन्दिर- वेद मन्दिर, भैरव मन्दिर, काशी विश्वनाथ मन्दिर, कैलासपति मन्दिर है। अत्यंत रमणीय, शांत व शुशोभित वातावरण आध्यात्मिक शांति का अनुभव कराता है।
श्री अन्नपूर्णा मन्दिर जीर्णोद्धार
मॉं अन्नपूर्णा के दर्शन हेतू दिन- प्रतिदिन बढती भीड़ एवं अपर्याप्त स्थाण होने के कारण नवरात्री आदि उत्सवों में दर्शनार्थीयों को असुविधा होती थी । इसी को ध्यान में रखते हुए श्री अन्नपूर्णा आश्रम ट्रस्ट ने मन्दिर का जीर्णोद्धार करने का निर्णय लिया। मॉं अन्नपूर्णा का यह नया मन्दिर ६६०० वर्गफीट में बन रहा है । प.पू. महामण्डलेश्वर स्वामी विश्वेश्वरानन्द गिरिजी महाराज के सानिध्य में एवं श्री विनोद जी अग्रवाल (अग्रवाल ग्रुप) की अध्यक्षता में मॉं अन्नपूर्णा के समस्त भक्तों के सहयोग से नूतन मन्दिर का निर्माण कार्य निरंतर प्रगति पर है। नया मन्दिर नागर शैली में पूर्णतः मकराना मार्बल में बन रहा है। मन्दिर की ऊँचाई ८१ फिट होगी। मन्दिर में देवी- देवताओं की आकृतियों का अंकन हो रहा है।
आगामी योजनाएँ- विस्तृत पार्किंग, उद्यान, भक्त निवास, संत निवास, वैदिक विद्यार्थी निवास, गौशाला एवं प्रसादालय की भी सुविधा रहेगी ।
मंदिर में प्रवेश करने पर परम्बा भगवती देवी अन्नपूर्णा का एक सुंदर छोटा मंदिर देखा जा सकता है। यहां भगवती देवी अन्नपूर्णा देवी महाकाली और देवी महासरस्वती से जगमगा रही हैं। यह मंदिर मध्य भारत की वैष्णो देवी के नाम से भी प्रसिद्ध है। मंदिर के दरवाजे पर भगवान भैरव का मंदिर भी मौजूद है। इस तरह भगवान भैरवनाथ हमेशा भगवती देवी अन्नपूर्णा के द्वार की रक्षा कर रहे हैं।
बहुत बड़ी मूर्ति वाला भगवान शिव का मंदिर भी शानदार है। यह मंदिर पूरी तरह से संगमरमर से बना है। यहां भगवान नर्मदेश्वर (शिव) की पूजा करने के लिए लोगों की आमद महसूस होती है।
एक स्थायी यज्ञशाला (पवित्र अग्नि यज्ञ पूजा स्थल) भी बनाई जाती है, और जिसमें कभी-कभी पवित्र अग्नि यज्ञ किया जाता है, वहां एक बड़ा वेद भवन भी स्थित है जो बहुत ही सुंदर ढंग से बनाया गया है। कथा (कथा), प्रवचन (प्रवचन) और सत्संग आयोजित करने के लिए 1000 लोगों को समायोजित करने के लिए जगह उपलब्ध है। भगवान वेद यहाँ भी उनके मूर्ति रूपों में विभोर हैं। मंदिर में अन्य देवी-देवताओं की भी स्थापना की जाती है। दशावतार की मूर्तियाँ मुख्य द्वार के आकर्षण का केंद्र हैं।